गुरुपूज्य, प्रातः स्मरणनीप, वंदनीय, श्री श्री "दाजी"
चरणावत, प्रणाम, चरणोदक के साथ।
1.
एक पुकार बच्चे की जो कि मात्र ८० वर्ष (D. O. B. 03.07.1945 ) S. R. C. M., I. D. NO. INVC11109, जो कि पंथनगर इंजीनियरिंग प्रथम साल का विद्यार्थी था,
डॉ. शरण बिहारी गुप्ता, PROF. SBSH. UNIVERSITY के PROFESSOR के
द्वारा कई भंडारा मथुरा - दुडला आदि
ATTEND किया / PT. मिहीलाल जी, डॉ. चतुर्भुज सहाय जी आदि के सानिध्य में सत्संग होता रहा !
NOTE : दोनों
फोटो पुराना है - क्षमा चाहता हूँ
2.
इसके बाद मै इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी. टेक., एम. टेक., रीवा, इन्दौर से जबलपुर आगमन हुआ 1980 मे तब से ध्यान, सफाई सतत स्मरण कम से कम 24 घंटे मे 5-6 बार तो हो जाता है और हमेशा शांति से मौनधारण कर मालिक की गोद मे चुपचाप बैठा रहता हूं और अपना डियूटी करता रहता हूं। मालिक ।
3.
मै
1986 में आई. आई. टी., खड़गपुर (W. B.) इंजीनियरिंग पीएचडी करने गया। उसी में मेरी
वेटी ब्रजबाला लडकी की शादी की। ससुराल पक्ष से दहेज प्रताणना आउट साइकेट्रिक पेशेन्ट
हो गयी। जबलपुर, भोपाल दवा कराए कोई फायदा नही । में पूज्यचारी जी की रोने वाली खूब
मिला जो मेल्टली और दिल्ली से दवा ।
4.
अत्याधिक
परेशान होने के बाद पूज्यचारी जी का दर्शाने कराए। जबलपुर मे तथा चेन्नई हम सपरिवार
कम से कम 100 बार चेन्नई गया हूँ, ब्रजबाला वहां एक एक माह अकेले रही है। भोजन आदि
का इन्तजाम देखती थी ।
5.
मालिक
श्री चारी जी एक बार जबलपुर आए, मेरी लम्बी मोटी चोटड्या (चोटी) त्रिकाल संध्या, वन्दन,
हवन, करने वाला, साल के तीनो नवरात्री, मे अस्वाद व्रत (बगैर नमक शक्कर के ) 27 साल
किया। मालिक ने चोटड्या कटवा दी । "ब्रजबाला" को इतना फायदा हुआ कि डां०
विदुषी, छोटी बहन का घर, 12 साल तक सम्भाली, अभी भी दवा चल रहा है। परन्तु दवा कम हो
गयी है अब वह ठीक है ।
6.
उसी
में, मेरी पीएचडी की थीसिस ट्रेन ने चोरी हो गयी । उसी मे, ब्रजवाला भी परेशानी आदि
मे टूट गया। फिर जबलपुर में बी. टेक., व एम. टेक. पीएचडी शुरू कराये हम भी पीएचडी आईआइटी,
जेएनकेविवि से 30 जुलाई 2007 को पूरा किया 31 जुलाई 2007 को रिटायर हो गया ।
7.
मेरा
इस प्रकार 03 बार एम. टेक. और 02 बार पीएचडी करने का श्रेय मिला रिटायर के बाद 15 साल
तक आर०जी० टेक्नीकल यूनिवर्सिटी, भोपाल के कॉलेजों मे तया मम्बई यूनिवर्सिटी, मेकेनिकल
इंजीनियरिंग मे पढाया, बी. टेक., एम. टेक. तया पीएचडी ।
8.
मै
अभी 75-76 साल मे अस्वस्थ्यता के कारण घर आ गया । कोविड हुआ तो मुम्बई से जबलपुर आया,
फिर कोलेस्टोल बढ गया कही भी गिर जाता या। एक बार आश्रम के मेडीटेशन हॉल में पूजा करते
गिरा, दो डाक्टर थे डां० बडेरिया, डॉ० खरे, ठीक हुआ घर आया। मैं जब भी गिरता था अस्पताल
मे भर्ती होता या अबकी बार ठीक हो गया, तो हमने 50,000/- रुप्या आश्रम को दिया, कारण
जब मै जमीन पर गिरता था हॉस्पिटल में भर्ती होता था कम से कम 1.5 लाख खर्चा होता था
। अबकी बार आश्रम मे ही डाक्टर लोग ठीक कर दिए, इसलिये 50 हजार हमने आश्रम को दिया
।
9.
उसके
बाद एन०जी०ओ० ग्राफी दुबारा हई । एक बार मुम्बई में हुआ था । At the Last एन्जीयोप्लास्टि
हुआ, अब ठीक हुआ ।
10.
3rd
बार एक सटरडे को शाम को व्यक्तिगत सीटिंग के लिये ब्रदर सुनील खांडेकर + वन्दना खांडेकर
(सिस्टर) उसके बाद बगल मे अश्वनी गुप्ता ब्रदर के यहां गये कोई नही दिया, सभी व्यस्त
या बाहर थे, फिर मैं जिददी स्वभाव का श्री के. के. श्रीवास्तव ब्रदर के यहां गया पूजा
लिया। लौटते समय सीढ़ियों पर से गिर पड़ा। बांया पैर कमर से टूट गया, महीनो हास्पिटल
में था । अब ठीक है वॉकर लेकर 08 माह बाद घर मे चलता हूं ।
11.
एक
दिन रात को, मैं परेशानी से त्रस्त हो गया था, सोचता था और रोता था, क्या
I.
बेटी
ब्रजबाला बीमार हो गया, पूजा बंद हो गयी, 54 साल की मानसिक (दहेज प्रताडना मे), चारी
जी ने कहा घर को आश्रम बनाओ । आपकी कृपा से वह ठीक हो गयी, आप जबलपुर मे आए थे, उसका
पूजा भी शुरू हो गया । छोटी बहन के यहां गाजियाबाद मे डां० विदुषी एसएससी एमसीए, सीधे
पीएचडी करके, वह आईटी एस कालेज, मोहन नगर मे चेयर पर्सन थी को सम्भाला, अब हमको देख
रही है दवा आदि ।
II.
छोटा
वेटा विवेकानंद, बहू अंकिता, पोता चीकू, जब मै मुम्बई सभी नौकरी छोडकर बाद मे आ गए,
आश्रम मे जो भोजनालय है उसका इन्चार्ज, वेटा आश्रम का मेन्टेनेंस देख रहा है ।
III.
मेरी
पीएचडी 21 साल बाद आप ही की कृपा से रिटायर के एक दिन पहले से मिला। अभी प्रोमोशन बाकी
है, बेटा कांट्रेक्टर गर्वनमेन्ट का हो गया । वह बी. टेक. एमबीए है बहू एमबीए, सी.
ए., परसुईग है।
IV.
मेरे
पास घर नही था, जोनल आश्रम जबलपुर में एक घर बी 60 खरीदा 50-60 लाख का, घर से छोटे
भाई श्याम सुन्दर मेरी प्रापर्टी का ने 80 लाख दिया था। यह भी आप ही आप ही की कृपा
से हुआ, आपने भगवन मेरा सब कुछ किया परतु हमेशा बीमारी क्यो होती है कोविड, हार्ट प्रोब्लम,
पैर टूटना, आदि ।
रात
में हम रोते- रोते, विह्वल -परेशान हो गए । आपका सपना आया, मेरी आपसे बात हुई, आपने हमको बडी देर तक समझाया, वी सी सिह तुम्हारा सस्कार अपना बड़ा था कि दोनों पैर जाता, परतु तुम एक पूजा ले लिये, अब डेढ पेर तो है आधा तो ख़राब हुआ।
तुम शानिवार को व्यक्तिगत सीटिंग के लिये 3-4 प्रशिक्षक के यहा दोडे कि हमारी SUNDAY की
पूजा ठीक हो जाये अब तुम्हे प्रशिक्षक बनाता हूं, तुम घर में पूजा करो । घर में कोई आये तो उसको भी पूजा देना। तुम्हें प्रशिक्षक के पास या आश्रम के मैडिटेशन हाल में
भी नहीं जाना है ।
आपका
उत्तर पकर नै रोना बंद किया, यह 3-4 माह हुआ । अब जब पूजा को इच्छा होती है आप से तुरंत मिल जाता है । जो आता है उसको पूजा आप की ही मिलती है । आपका आशीर्वाद रूपी उत्तर चाहिए । घर का प्रभु पूजा की
परमिशन मिल जायेगा ।
THANKS, आपका आशीर्वाद
शेष है ।
आपका बालक
[विंध्याचल सिंह]
डॉ.
वी. सी. सिंह
वी-60, एस आर सी एम्, जोनल आश्रम,
नियर ओरिएण्टल इंजीनियरिंग कालेज अंधुआ जबलपुर
482003 मध्य प्रदेश
मो. नं.94258 00455
गलती क्षमा के लिए प्रार्थी : -
i.
पत्र बहुत लम्बा हो गया है और
ii.
पत्र में गलतियों के लिए क्षमा
iii.
फोटो पुराना है ।
पूज्य
बाबू जी ने लिखा है कि अगर मेरे जैसा बनना है तो रात्री मे 1 A. M. से 3 A. M. के बीच साधना मेडीटेशन करो हम तुमको अपनी जगह देगे ।
मै
गुरूजी कुछ साल तक यह भी किया, मेरे मे काफी अन्तर आया । अन्तर मौन की स्थिति का स्वागत किया। "आप चुप और हम चुप का पाठ पढाया"
मालिक मुझे आपका …………… “कान्हा शांती वनम" मे दर्शन चाहिए। और कुछ भी नही चाहिए " प्रभु मेरे नाथ दाजी चरणवत वंन्दना स्वीकार करे ।
नोट
- हे मेरे नाथ I am writing a needful letter to our beloved master
in "first time"
2. अगाध प्रेम मे डूबते हुये हृदय का उदगार परोसता रहा पत्र बडा हो गया
3. गुरु देव
मेरा
मन सोच रहा था कि जब तक यह पत्र आपको वायपोस्ट मिलेगा क्या हम वाकर से धीरे- धीरे पैदल चल कर आप के पास पहुंच कर हृदय की वेदना सुनाने के साथ- साथ काम
1. चरण धूली मिल जायेगी ।
2. हमारे पास गंगा जल है तो चरणोदक मिल जायेगी ।
3. परतु हृदय बोलता है कि बच्चे 40X60 घर के अंदर चलाते है वहां इतनी दूर नहीं जाने देगे ।
क्या करूं मास्टर स्वप्न मे मुलकात करके सारी प्राब्लम सोल्व कर लेगे आपकी महती कृपा हुई तो
प्रणाम मास्टर
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