MAHARIPUR HOUSE
Friday, 12 January 2018
*किसी शायरा ने बहुत ही उम्दा शेर कहा है, जो प्रासंगिक हो गया:* *"तलाक़ दे तो रहे हो गरूरो-गोहर के साथ,* *मेरा शबाब भी लौटा दो मेरे मेहर के साथ"*
*किसी शायरा ने बहुत ही उम्दा शेर कहा है, जो प्रासंगिक हो गया:*
*"तलाक़ दे तो रहे हो गरूरो-गोहर के साथ,*
*मेरा शबाब भी लौटा दो मेरे मेहर के साथ"*
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